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जंग की बातें बहुत की, प्यार की बातें करें / उर्मिल सत्यभूषण
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जंग की बातें बहुत की, प्यार की बातें करें
आओ मिल बैठे ज़रा मनुहार की बातें करें
भुखमरी, आतंक और शोषण की तस्वीरें बहुत
देख ली, उनके लिये उपचार की बातें करें
डूब जायें न कहीं मंझधार में सारे सवार
माँझियों से कश्ती और पतवार की बातें करें
धर्म है बस एक ही जिसका मुहब्बत नाम है
उस इलाही नूर के दीदार की बातें करें
नाम का उद्धार की, जिसने डुबोया गर्त में
उस पतित पावन की, उस गद्दार की बातें करें
नफ़रतों के दरमियां खिलते हैं उल्फत के कमल
बांटने के प्यार के उपहार की बातें करें
जो बिना बुनियद के हर ओर बनती हो गई
आज उर्मिल टूटती दीवार की बातें करें।