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जंग में हूँ बहार मुश्किल है / अनिरुद्ध सिन्हा
Kavita Kosh से
जंग में हूँ बहार मुश्किल है
दस्ते-क़ातिल का प्यार मुश्किल है
फिर तसल्ली सवाल बन जाए
फिर तेरा इंतज़ार मुश्किल है
ख़त गया है जवाब आने तक
बीच का अख़्तियार मुश्किल है
उँगलियों का सलाम हाज़िर है
सादगी का सिंगार मुश्किल है
है ये मुमकिन तनाव देखें वो
देख लेंगे दरार मुश्किल है