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जइबइ हम ससुरारी / उमेश बहादुरपुरी

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जइबइ हम ससुरारी,
छोड़ के बाप महतारी
ताना मारे त मारे लोगवा,
लगइबइ पिया जी से यारी
जइबइ ....
सुन लऽ तूँ जी बाँके सजनमाँ,
तूँही हहो हमर सपनमाँ
छोड़ देबइ हम महल-अँटारी
जइबइ ....
दिल देबो तोहरा नजराना
बन जाये चाहे दुश्मन जमाना
मार देबइ ओकरा कटारी
जइबइ ....
छोड़म नञ् हम तोहर कलइया
तूँ हीं हऽ हमर कृष्ण-कन्हैया
चाहे पारे कोय टिटकारी
जइबइ .....