जगत म्हं देख्या है अजब तमाशा / मेहर सिंह
दो दिन का जीणा दुनिया म्हं है उनमान जरा सा
जगत म्हं देख्या है अजब तमाशा।टेक
ज्ञान की कर रोशनी क्यूं जाण कै अंधेर करता
सोच कै न चाल बन्दे घड़ी घड़ी देर करता
कुणबा तेरा प्यारा नहीं जिसकी तू मेर करता
चाचा रोवै ताऊ रोवै चाची रोवै और ताई
मात पिता दोनूं रोवैं पास के म्हां रोवै भाई
सारी जिन्दगी याद आवै घणी रोवै मां की जाई
तीन दिना तेरी त्रिया रोवै फेर करै घरवासा
जगत म्हं देख्या है अजब तमाशा।
उतां के म्हां बैठ कै नै सीख लई बुरी कार
नशे बाजी जुआ बाजी तास बाजी करली त्यार
चोरी और बदमाशी सीखी जब भी नहीं गई पार
जोड़ जोड़ रख लिया यो तेरा धन माल नहीं
सोच कै चाल मूर्ख आज तेरी काहल नहीं
एक दिन सबनै जाणा होगा काल आगै दाल नहीं
महल हवेली सब तेरे छुटज्यां हो शमशाणा म्हं बासा
जगत म्हं देख्या है अजब तमाशा।
भद्दी बातें छोड़कर शुभकर्म का ख्याल कर
पण्मेशर को ज्यान देणी बुरे कर्म की टाल कर
सारी बातें बुझी ज्यां धर्मराज कै चाल कर
बुद्धि है पास तेरे मन को चलाने वाली
सबसे बुरी बेईमानी ईंसा से गिराने वाली
जिसका तूं गुमान करता ये जिन्दगी है जाने वाली
दस इन्द्री और पांच विषय का घल्या गले म्हं फांसा
जगत म्हं देख्या है अजब तमाशा।
परमेश्र का भजन कर शरीर का उद्धार होगा
पापियों की नाव डूबै सत का बेड़ा पार होगा
ओउम-ओउम रटने से ज्ञान का विचार होगा
उसनै भी क्यूं भूल गया जिसनै तूं इंसान किया
मेहरसिंह सच्ची सच्ची बातों का ब्यान किया
गर्भ से निकल कर भुल्या चमड़े का गुमान किया
धर्मराज घर होंगे पापी तेरे बयान खुलासा
जगत म्हं देख्या है अजब तमाशा।