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जगह प्रेम के लिए / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
आलमारी में
गरम कपड़ों के बक्से में
गद्दे के नीचे
किताबों के बीच मोरपंखी
की तरह
कहाँ छुपाऊँ तुम्हारी तस्वीर
कहा
कि देख न सके दूसरा कोई
क्या कहीं नहीं है
जगह कोई
मन के अलावा
छिपाने को तुम्हारी तस्वीर
विपुल विराट यह दुनिया
कितनी असुरक्षित जगह है
प्रेम के लिए
वही प्रेम जिससे
बसती है
दुनिया।