जगह रखना / नीना कुमार

यादों के नशेमन में इतनी तो जगह रखना
नए लम्हे सजाने की कोई तो वजह रखना

ना जाने किस वक़्त सबा, खुशबु-ए-गुल लाये
किवाड़ को खुला तुम, खिड़की की तरह रखना

पर बिखर जाना न हवा में, कतरों की तरह तुम
जज़्बात को वज़न देना, खिरद की सलाह रखना

तारीख़ नहीं है, सिर्फ दास्तान-ए- शहन्शाह
अपनी कहानी में, हर पत्थर को गवाह रखना

सिअह रात हो जितनी, जुगनू की चमक उतनी
तुम जल के हर पल 'नीना' शब् में सुबह रखना

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