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जगाओ सूरज / श्रीप्रसाद
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जगाओ सूरज, जगाओ तारे
जगाओ चंदा, खिले चमाचम
ले आओ बादल, कहीं छिपे हैं
ले आओ बरसें गरज झमाझम
खिलाओ बगिया में फूल सारे
हवा में खुशबू भरे सुहानी
धिरा अँधेरा मिटाओगे तुम
किरन सुबह की तुम्हीं को लानी
तुम्हें मिला बल, तुम्हें सभी कुद
तुम्हें बदलना है देश अपना
तुम्हीं हँसी हो, तुम्हीं खुशी हो
तुम्हीं सभी का हो एक सपना
तुम हो करोड़ों, करोड़ो दीये
फिर रोशनी तो यहाँ हर कहीं है
आँखें सभी की हैं बस तुम्हीं पर
निराश हों हम, वजह ही नहीं है।