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जगाय लाओ सखी बन्ना सोवत अटरिया / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जगाय लाओ सखी बन्ना सोवत अटरिया
मोर मुकुट सिर बांधो राजा बनरे,
कलगिन बीच अनार की कली, कचनार की कली,
सखी लगत नजरिया जगाय...
माथे खौरें काढ़ो राजा बनरे,
टिपकन बीच अनार की कली, कचनार की कली,
सखी लगे न नजरिया। जगाय...
झेलन बीच अनार की कली,
कचनार की कली, सखी लगे न नजरिया
कण्ठन गूंजे पैरों राजा बनरे,
गोपिन बीच अनार की कली, कचनार की कली,
सखी लगे न नजरिया। जगाय...
अंगे बागो पैरों राजा बनरे,
पनरस बीच अनार की कली, कचनार की कली,
सखी लगे न नजरिया। जगाय...
हांथन घड़िया बांधो राजा बनरे,
कंगन बीच अनार की कली, कचनार की कली,
सखी लगे न नजरिया। जगाय...
पांवन मोजा पैरों राजा बनरे,
माहर बीच अनार की कली, कचनार की कली,
सखी लगे न नजरिया। जगाय...