Last modified on 12 अप्रैल 2020, at 15:09

जग जा मेरी बिटिया रानी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

जग जा मेरी बिटिया रानी
उठ जा सुख सपनों की रानी

सूरज दादा नभ से आये
रोली का गुब्बार उड़ाते
धीरे-धीरे किरणों का ये
झीना-सा एक जाल बिछाते

सभी जग गये हुआ सबेरा
दादी पूजा में बैठी हैं
नहलाकर ठाकुर जी को अब
रामायण पढ़ने बैठी हैं
नित्य पाठ करती है दादी
तू भी उनसे सुनती थी
पूछ रही थी नहीं उठी क्या?
'शीघ्र उठा दो' कहती थी

जागो हो तैयार नहाकर
पुस्तक अपनी पढ़ लेना
फिर दिन भर जो चाहे करना
पहले पूजा कर लेना