जग भरिक उपरागसँ अकच्छ भेल छी 
राति-दिन लागैत दागसँ अकच्छ भेल छी 
मौध मुँह पर मुदा मोन माहुर भरल 
ई फुसियाहा अनुरागसँ अकच्छ भेल छी 
हम जँ बजलौं अहाँसँ त' रुसि रहता ओ 
ऐ संबंधक गुणा-भागसँ अकच्छ भेल छी 
दंश सहलौं कते मिसिया भरि मौध लेल 
प्रेमक मधुर परागसँ अकच्छ भेल छी
"नवल" टूटितै नै जे निन्न होएतै एहन 
राति-राति भरिक जागसँ अकच्छ भेल छी