भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जजमान भोला परपंचि नारी / गुमानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जजमान भोला परपंचि नारी ।
द्‍वी भुड़ गडेरी मे दयो पूजा सारी ।
रिसानी खिसानी विशा ज्यू रिसानी ।
यो वॄत्ति देखी मन में गिलानी ।
हरि ओम तच्छत के पुन्तुरी थामी ।
नमः शिवायेति समर्पयामी ।