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जज़्ब होना है तो मिट्टी पे ठहरिए साहब / ओम प्रकाश नदीम

जज़्ब होना है तो मिट्टी पे ठहरिए साहब ।
और बेकार ही बहना है तो बहिए साहब ।

बात कुछ और है कुछ और न कहिए साहब,
आप आईना हैं, आईना ही रहिए साहब ।

लोग कहते हैं कि चादर में सिमट कर रहिए,
हम ये कहते हैं कि चादर को बदलिए साहब ।

हमने सोचा था कि वो पलकें बिछाए होगा,
उड़ गए होश कहा उसने जो ’कहिए साहब ?’

आप ख़ुद अपनी भी औक़ात समझ जाएँगे,
अपनी औक़ात से बाहर तो निकलिए साहब ।

ग़ैर के दर्द में आसान है ये कह देना,
ठीक हो जाएगा सब हौसला रखिए साहब ।