दुष्ट दशानन जब सीता को लेकर लंका ओर चला है 
पक्षी ने बोला हमला है 
गीध जाति का नाम जटायू
संपाती का छोटा भाई 
राम चरण अतिशय अनुरागी
आज बचाने सीता माई 
करे प्रहार चोंच से तीखे, रावण सोचे कौन बला है 
रे रे दुष्ट किधर जाता है 
गीधराज रावण को डांटे 
तब रावण ने चंद्रहास से 
वृद्ध जटायू के पर काटे
रावण दक्षिण ओर गया फिर, सूरज पश्चिम और ढला है 
सीता मइया की रक्षा में 
न्योछावर निज प्राण किए हैं
उसके तन को हैं सहलाते 
राघव अपनी गोद लिए हैं 
मिली आत्मा परमात्मा में, नश्वर मात्र शरीर जला है