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जड़ें जमीन पर / नीरजा हेमेन्द्र
Kavita Kosh से
तिनका-तिनका जोड़कर
बनाती अपना घर
वो चिड़िया
उड़ जाती है दूर देश
भोजन का तलाश में
नीले विस्तृत नभ में पंख फैलाये
उड़ती चली जाती है
वह जानती है लक्ष्य प्राप्ति के लिए
उसे उतरना होगा आसमान से जमीन पर
जमीन से जुड़ कर ही उसे मिलेगा भोजन
जमीन और आसमान दोनों ही अपरिहार्य हैं
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए
हमें भी उड़ना है नभ में
छूने हैं चाँद, सितारे
करने हैं नवोन्मेश
ग्रहों और नक्षत्रों पर जा कर
पृथ्वी को सुरक्षित कर ही
हम भरेंगे पंखों में उड़ान
अन्ततः जमीन पर ही हैं हमारी जड़ें...