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जड-चेतन-सबमें देखूँ नित / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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 (राग जंगला-ताल कहरवा)

 जड-चेतन-सबमें देखूँ नित बाहर-भीतर श्रीभगवान।
 करूँ प्रणाम नित्य नत-मस्तक-मन, तजकर सारा अभिमान॥
 करूँ सभीकी यथायोग्य शुचि सेवा, उनमें प्रभु पहचान।
 करूँ समर्पण उन्हें उन्हींकी वस्तु विनम्र सहित-समान॥
 राग, कामना, ममता सारी प्रभु-चरणोंमें पाकर स्थान।
 नित्य कराती रहे मधुरतम प्रेम-सुधा-रसका ही पान॥