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जणि लियूं चा, अजाणम् लियूं छ / ओम बधानी
Kavita Kosh से
जणि लियूं चा, अजाणम् लियूं छ
भल्यां मा लियूं , चा औख्यांमा लियूं छ
जन भी हो बस, चित बुझायूं छ
फौजी छौं, सेवा धरम लियूं छ
देस कि सेवा मा, जीवन दिन्यूं छ
सुपन्यू छौ एक धर बणौंला
दगड़ा रौंला खौंला कमौंला
भागै बात कै दोस द्यौं
सुवा तुछै धर, मै यख देसु छौं
ज्यू बोनू त्वैमा, फुर्र उड़ि औं
औं कनक्वै, पंखूर बन्ध्यांन
धर बारै फिकर रात दीन
निस्फिकरू कन्क्वै रण मैन
बाल बच्चैं दगड़ा नि रयेंद
टीस य जिकुड़ा की नि सयेंद
ज्वानि आंद भरती ह्वै छौ बुढेंद रिटैर होण
तबै सारि स्याणी गाणी पुर्यौंलु
धर बिटि चिठ्ठी आईं छ आज
जिकुड़ी म फुलसंगरांद एैगै आज
अल्टी पल्टी चिठ्ठी पढणू छौं
धर मुल्कौ रैबार खोजणू छौं
धर की खुद मा जिकुड़ी खुदेंद,
आंसू छळ्कैकी मुखड़िम् खतेंद