भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जथारथ (1) / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
बाई रो जलमणो
पैला ..........
लिछमी रो पधारणो मानीजतो
आज
समै रो बदळाव
जथारथ जमानै रो
लिछमी नैं
पधरावणो है
बाई रो जलमणो !