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जथारथ (4) / हरीश बी० शर्मा

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भाई लड़यो भाई सूं
बरतण बाज्या,
ठीकरा फूटया
लाई बह्यो

भींत खड़ी ही
ईंट्यां सूं भाईचारै री
अर
नींव भरीजसी
फोड़‘र
बाप‘री छाती।