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जनगणना के हवाले से / दीप्ति पाण्डेय
Kavita Kosh से
एक तीतर के आगे दो और पीछे दो तीतर रखने होंगे
हम संख्या प्रेमियों को
एक पहेली के उत्तर 'तीन' के लिए
निष्कर्ष को साधने के लिए प्रश्न गढ़ना आसान है
ठीक विपरीत उतना ही जटिल
'संख्या' से अर्थ केवल नरमुण्डों से नहीं निकालता मेरा अनुभव
उनकी 'मति' से निकालता है
लेकिन ऐसा करने पर 'संख्या' में अवनति दर्ज हो जाती है
'मति' एक महीन और अदृश्य रेख
जो किसी सोये श्वान पर पत्थर या अपने नुकीले जूते मारने पर भी अमानुष की तरफ धकेल देती है
'संख्या' के दायरे के बाहर केवल एक दोपाया बनकर रह जाना 'असंख्या' ही है
खैर! एक 'असंख्या' भी जनगणना का हिस्सा है ऐसा सांख्यिकी कहती है
लेकिन एक असंवेदनशील दोपाया किस हिस्से का है
ये उसके नुकीले जूते जानते हैं या वो जागा हुआ श्वान