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जनतन्त्र / उमाशंकर सिंह परमार
Kavita Kosh से
दिल्ली ने सिद्ध कर दिया है
कानून व्यवस्था जर्जर है
लखनऊ ने जवाब दे दिया है
मँहगाई बढना वादाख़िलाफ़ी है
लखनऊ ने फूँक दिया
दिल्ली का पुतला
दिल्ली ने भी लखनऊ का पुतला फूँककर
तुरन्त बदला लिया
और अख़बारों ने छाप दिए
शान्ति के झूठे करतब
संसद मे पास कर दिए गए
विकास के भ्रामक फार्मूले
लखनऊ और दिल्ली
दोनो एकमत हैं
वो समझते हैं कि
आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच
सहजता से सम्पन्न हो जातीं हैं
किसानों की आत्महत्याएँ
खेतों मे उगी
आक्रोश की फ़सल
बिना किसी प्रतिरोध के
वोट-बैंक मे तब्दील हो जाती है
वो जानते हैं कि
हर हत्या के बाद
दो मिनट का मौन
व्यवस्था को
जनतान्त्रिक बना देता है