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जनता हो लाचार तो राजा मज़ा करे / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
जनता हो लाचार तो राजा मज़ा करे
काटे कोई माल तो कोई लखा करे
राजा बदले जनता लेकिन वही रहे
जनता करे गुनाह तो किससे गिला करे
मेरा दिल तब और धड़कने लगता है
मेरा क़ातिल रहम करे जब दया करे
बहुत हसीं धोखे का चेहरा होता है
माफ़ी माँगे पल में, पल में ख़ता करें
साक़़ी की इस अदा के हम दीवाने हैं
मुस्काकर ज़्यादा पीने से मना करे
अच्छे दिन आयेंगे लेकिन क्या सबके
मालामाल हो नमो-नमो जो जपा करे
देश हमारा कई सुनामी देख चुका
देश रहे खु़शहाल ये शायर दुआ करे