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जननी तेरा अभिनन्दन है / मधुसूदन साहा

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जननी तेरा अभिनंदन है
चरणों में शत-शत वंदन है।

तूने सबको प्यार दिया है,
जीने का आधार दिया है,
बगिया के सारे फूलों को
हँसने का अधिकार दिया है,

तेरे आँचल की छाया में
लहराता सारा उपवन है।

तुझसे ही है मान हमारा,
दुनिया में सम्मान हमारा,
खेतों में फसलें लहराती
भर जाता खलिहान हमारा,

तुझसे पा आशीष हमेशा
सफल हुआ सबका जीवन है।
 
तू गंगा-सी पावन लगती,
यमुना-सी मनभावन लगती,
प्यासी नदियों के आंगन में
रिमझिम-रिमझिम सावन लगती,
कण-कण कुंकुम से अभिरंजित
माती माथे का चंदन है।