भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जननी तेरा अभिनन्दन है / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
जननी तेरा अभिनंदन है
चरणों में शत-शत वंदन है।
तूने सबको प्यार दिया है,
जीने का आधार दिया है,
बगिया के सारे फूलों को
हँसने का अधिकार दिया है,
तेरे आँचल की छाया में
लहराता सारा उपवन है।
तुझसे ही है मान हमारा,
दुनिया में सम्मान हमारा,
खेतों में फसलें लहराती
भर जाता खलिहान हमारा,
तुझसे पा आशीष हमेशा
सफल हुआ सबका जीवन है।
तू गंगा-सी पावन लगती,
यमुना-सी मनभावन लगती,
प्यासी नदियों के आंगन में
रिमझिम-रिमझिम सावन लगती,
कण-कण कुंकुम से अभिरंजित
माती माथे का चंदन है।