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जनाब हावी / हुस्ने-नज़र / रतन पंडोरवी

"फर्शे-नज़र" पढ़ने का इतेफाक हुआ, वाकई आप ये कोशिश इल्मी व अदबी में संगे-मील की हैसियत रखती है। बाज़ अशआर इल्हामी हैं और अक्सर व बेशतर अशआर दिल की गहराइयों से निकल कर सफ्हा-ए-किर्तास पर मुर्तअश हो गये हैं। हक़ीक़त-पसन्दी व सादगी का उस्लूबे-निगारिश अछूता व मुनफ़रिद है।