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जनि करीं अधिका दुलार / विनय राय ‘बबुरंग’

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जनि करी अधिका
अपना लइकन के दुलार
नाहीं त रोज आई
ओरहन दुआर
पिये लागी गांजा
पाउच-हिरोइन
जा के चट्टी पर
जिये क बनाइ्र
इहे कुल आधार
केहू क समान चोराई
सेतिहे में बेंच आई
पइसा खातिर जब ऊ
हो जाई लाचार
बनि जाई निरहुआ
जुआ खेली खूँटी में
बेंच देई आपन ऊ
घर-संसार
ओतने दुलार करीं
बस में रहो लइका आपन
पढ़-लिख जाई त
एक दिन बन जाई
घर के होनहार।।