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जन्नत जो मिले ला के मैख़ाने में रख देना / सीमाब अकबराबादी

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 जन्नत जो मिले लाके मैख़ाने में रख देना|
क़ौसर मेरे छोटे से पैमाने में रख देना|
[क़ौसर= स्वर्ग में नदी]

मय्यत न मेरी जा के वीराने में रख देना,
पैमानों में दफ़ना के मैख़ाने में रख देना|
 
वो जिस से समझ जायें रुदाद मेरे ग़म की,
ऐसा भी कोई टुकरा अफ़साने में रख देना|
[रुदाद=कहानी; अफ़साना=बताना या कहना]
 
सज्दों पे ना देना मुझ को अर्बाब-ए-हरम ताने,
काबे का कोई पत्थर बुत-ख़ाने में रख देना|
[अर्बाब=दोस्त]
 
"सीमाब" ये क़ुद्रत का अदना सा करिश्मा है,
ख़ामोश सी इक बिजली परवाने में रख देना|
[अदना=छोटा; करिश्मा=चमत्कार]