भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जन्मी सनेहिया / सुभाष चंद "रसिया"

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कतही से अइला त मिलेलु ना प्यार से।
बोलल कर ये धनिया जबनिया सुधार के॥

सबसे पहिले जग में पूजात बाड़ी नारी।
तोहरा के दुनिया कहेला अब महतारी।
कहिका समाज तोहरी अइसन विचार के।
बोलल कर ये धनिया जबनिया सुधार के।

जेवन-जेवन कहलु धनिया उहे काम कइनी।
साधिया पुरावे खातिर योगी बन गइनी।
गलिया गली में खोजनी तोहरी ही प्यार के॥
बोलल कर ये धनिया जबनिया सुधार के॥

जनम-जनम के ई भारी बाटे नाता।
तोहरी विचार में ई कुछ ना बुझाता।
जन्मी सनेहिया के तोडेलू विचार में॥
बोलल कर ये धनिया जबनिया सुधार के॥