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जन्मों जन्मों के ये कर्ज़ हमारे हैं / उर्मिल सत्यभूषण
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जन्मों जन्मों के ये कर्ज़ हमारे हैं
इक इक करके सारे कर्ज़ उतारे हैं
सांसों की पतवार न जाये टूट कहीं
माँझी जल्दी चल कि दूर किनारे हैं
आशाओं की मछली जल में तैर रही
और घात में लगे हुये मछुआरे हैं
नन्हीं सी इक किरण करिश्मा कर बैठी
उजियारे में बदल दिये अंधियारे है
उर्मिल सीखो मेहनतकश इन्सानों से
क्यूँ कहते हो हम किस्मत के मारे हैं?