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जन्म इंसां का मिला,इंसान बनकर देखिए / देवेश दीक्षित 'देव'

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जन्म इंसां का मिला,इंसान बनकर देखिए
हाथ में अच्छे नहीं लगते ये खंज़र देखिए

है बहुत आसान मज़लूमों के घर को फूंकना
इक ठिठुरती रात में सड़कों पे रहकर देखिए

सब सियासत बोट की,कोई जिए कोई मरे
कह रहे हैं दास्तां गलियों के पत्थर देखिए

क्या मिला मंदिर औ मस्ज़िद के फ़सादों से तुम्हें
जो मरे दंगों में उनके घर के मंज़र देखिए

कह रही थी लाश भी व्यापार हूँ वोटों का मैं
देश के इन रहनुमाओं की नीयत गर देखिए

ख़ूबसूरत है बहुत दुनियां सभी के वास्ते
इस घने कुहरे से कुछ आगे निकालकर देखिए

'देव' तलवारों से माना जीत ली दुनियां मग़र
हाथ ख़ाली ही गया फिर भी सिकन्दर देखिए।