भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जन्म दिन / राजा खुगशाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो धौल वक़्त ने कसे

दो घूँसे मैंने मारे

वक़्त ने कालर ऎसे पकड़े

कि कमीज़ के काज

फट गए सारे

जो बटन बचे

वे अब खो गए

दौड़ते-दौड़ते बत्तीस साल हो गए ।