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जन्म नहीं होता, मृत्यु नहीं होती / सुनील गंगोपाध्याय / सुलोचना

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मेरे प्रेम का कोई जन्म नहीं होता,
मृत्यु नहीं होती —
क्योंकि मैं अन्य प्रकार के प्रेम के हीरे का गहना
शरीर में लेकर पैदा हुआ था ।
नहीं रखा किसी ने मेरा नाम, तीन-चार छद्मनामों से
कर रहा हूँ भ्रमण मर्त्यधाम में,

आग को प्रकाश समझा, प्रकाश से
जलता है मेरा हाथ
यह सोचकर कि अंधकार में मनुष्य देखना होता है सहज भँवर में
अंधकार से लिपटा रहा

कोई मुझे देता है सरोपा, कोई दोनों आँखों से हज़ार दुत्कार
फिर भी मेरे जन्म-कवच, प्रेम को प्रेम किया है मैंने
मुझे कोई डर नहीं लगता,
मेरे प्रेम का कोई जन्म नहीं होता,
मृत्यु नहीं होती ।

मूल बंगाली से अनुवाद : सुलोचना

लीजिए, अब बंगाली भाषा में यही कविता पढ़िए
             সুনীল গঙ্গোপাধ্যায়
          জন্ম হয় না, মৃত্যু হয় না

আমার ভালোবাসার কোনো জন্ম হয় না
মৃত্যু হয় না –
কেননা আমি অন্যরকম ভালোবাসার হীরের গয়না
শরীরে নিয়ে জন্মেছিলাম।
আমার কেউ নাম রাখেনি, তিনটে-চারটে ছদ্মনামে
আমার ভ্রমণ মর্ত্যধামে,

আগুন দেখে আলো ভেবেছি, আলোয় আমার
হাত পুড়ে যায়
অন্ধকারে মানুষ দেখা সহজ ভেবে ঘূর্ণিমায়ায়
অন্ধকারে মিশে থেকেছি

কেউ আমাকে শিরোপা দেয়, কেউ দু’চোখে হাজার ছি ছি
তবুও আমার জন্ম-কবচ, ভালোবাসাকে ভেলোবেসেছি
আমার কোনো ভয় হয় না,
আমার ভালোবাসার কোন জন্ম হয় না, মৃত্যু হয় না।।