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जन्म लूँ, भारत में हर बार / बाबा बैद्यनाथ झा

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हे प्रभु यह वरदान मुझे दें,
होगा अति उपकार
जन्म लूँ, भारत में हर बार
 
इस भारत की बात निराली
जग कहता है स्वर्णिम थाली
अनुपम होली पर्व दिवाली
जनता झूमे हो मतवाली
हर उमंग उत्सव में प्रतिपल
बाँटे सब उद्गार
जन्म लूँ भारत में हर बार
 
है गंगा की अविरल धारा
यमुना का अति दिव्य किनारा
जहाँ कृष्ण की वंशी बजती
मिलनातुर हो राधा सजती
कण-कण धरती कृष्णमयी है
ममता का आगार
जन्म लूँ, भारत में हर बार
 
सबके मन में प्रेम भावना
करते हैं सब योग साधना
ज्ञान-यज्ञ जप तप व्रतधारी
सब होतें हैं प्रेम पुजारी
ज्ञान बाँट सम्पूर्ण विश्व में
करते योग प्रचार
जन्म लूँ, भारत में हर बार
 
विश्वबंधुता का है सपना
पूरा जग ही लगता अपना
सभी सुखी हो गौरवमय हो
स्वस्थ समुन्नत सबकी जय हो
यही कामना हम करते हैं
रखकर उच्च विचार
जन्म लूँ, भारत में हर बार