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जन के मन में / रमेश रंजक

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शब्द समय पी जाएँ लेकिन मरें नहीं
लाखों पतझर आएँ फिर भी झरे नहीं

इनको अपना चेहरा दे, अपनापन दे
जन के मन में उतरें ऐसा जीवन दे

जहाँ बिठा दें आना-कानी करें नहीं

पेट नहीं है देश अरे मूखबिर लेखन
शब्द माँगते थकन, शिकन, आधा वेतन

इतनी दे दे कुर्बानी ये डरें नहीं