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जब आँचल रात का लहराए / प्रेम वार बर्टनी

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जब आँचल रात का लहराए
और सारा आलम सो जाए
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर
ताजमहल में आ जाना
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर,
ताजमहल में आ जाना
जब आँचल रात का लहराए।

यह ताजमहल ज़ो चाहत की
आँखों का सुनहेरा मोती है
हर रात जहाँ दो रूहों की
खामोशी ज़िंदा होती है
इस ताज के साए में आकर तुम
गीत वफ़ा का दोहराना
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर
ताजमहल में आ जाना
जब आँचल रात का लहराए।

तन्हाई है जागी-जागी सी
माहौल है सोया-सोया हुआ
जैसे के तुम्हारे ख्वाबों में
खुद ताजमहल हो खोया हुआ
हो, ताजमहल का ख्वाब तुम्ही
यह राज़ ना मैने पहचाना
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर
ताजमहल में आ जाना
जब आँचल रात का लहराए।

जो मौत मोहब्बत में आए
वो जान से बढ़कर प्यारी है
दो प्यार भरे दिल रोशन हैं
वो रात बहुत अंधियारी है
तुम रात के इस आँधियरे में
बस एक झलक दिखला जाना
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर
ताजमहल में आ जाना
जब आँचल रात का लहराए।

जब आँचल रात का लहराए
और सारा आलम सो जाए
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर
ताजमहल में आ जाना
तुम मुझसे मिलने, समा जलाकर
ताजमहल में आ जाना
तुम ताजमहल में आ जाना
जब आँचल रात को लहराए।