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जब आते हो तुम / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / माया एंजलो

जब आते हो तुम मेरे पास बिन बुलाए
इशारे से ले जाते
बहुत समय पहले के उन कमरों में
जहाँ जीवित हैं स्मृतियाँ।

देते हो मुझे, जैसे किसी बच्चे को,
उन थोड़े दिनों का संचित ख़जाना
चुराए हुए चुम्बनों का आभूषण
ऋण में लिए प्रेम का अलंकरण
गोपनीय शब्दों का सन्दूक।

रो पड़ती हूँ मैं।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’