सरङोॅ में सीढ़ी लगाय गेलै हो
जबेॅ आदमी सुराय गेलै!
परलय में धरती पर भरलै अन्हरिया
सूझै नै चान-सुरुज बेबस नजरिया
जिनगी के जरिया बनाय गेलै हो
जब आदमी सुराय गेलै!
प्यासोॅ-तरासोॅ सें सुखी गेलै हियरा
सूखी गेलै घाँस-पात सुखी गेलै जियरा
पथलोॅ पर गंगा बहाय गेलै हो
जब आदमी सुराय गेलै!
कुछुवो नै बिघिन यहाँ कुछुवो नै बाधा
बाटोॅ के परवत या रस्ता के खाधा
पानी पर लीखो गढ़ाय गेलै हो
जबेॅ आदमी सुराय गेलै।
चानोॅ पर झूमै छै, मंगल के चूमै छै
सौंसे टा अंतरिक्ष छन्हैं-छन्हैं घूमै छै
तीन लोक घरपोसलोॅ गाय भेलै हो
जब आदमी सुराय गेलै।