जब ऊँट हँसा / प्रकाश मनु
दादा, दादा, प्यारे दादा
क्यों ऐसे टेढ़े-मेढ़े हो,
क्या कोई कल सीधी भी है
या बिल्कुल टेढ़े-टेढ़े हो?
लगता फुरसत में गढ़ा गया
जैसे तुम, वैसा कोई ना,
तम्हें देखकर गाते सारे
ईका-डीका, ईना-मीना।
सुन करके भाई ऊँट हँसा,
हुल-हुलर-हुलर तब ऊँट हँसा,
कोई कहता, सच हँसा-हँसा
कोई कहता, ना झूठ हँसा।
बोला कुक्कू, प्यारे कुक्कू
तुम कहते तो हो ठीक-ठीक,
पर सीधा-कुबड़ा जो भी हूँ
है एक हमारी अलग लीक।
इसलिए अलग कुछ मस्ती है
इसलिए हमारी हस्ती है,
है जहाँ समंदर रेतीला
देखो, क्या अपनी चुस्ती है।
क्यों कूबड़ इतना भारी है
क्या छिपा खजाना है इसमें,
क्या छिपा हुआ, बतलाओ ना
जो माल पुराना है इसमें?
क्यों उटक-उटककर चलते हो
क्यों हल-हल, हल-हल हिलते हो,
तुम हिल-हिलकर क्या कहते हो,
क्या राज छिपाए रहते हो?
मेरी ये बातें सुन करके
था ऊँट हँसा, भई ऊँट हँसा,
हाँ, हुचुर-हुचुर कर ऊँट हँसा।
जब ऊँट हँसा तो लोग हँसे
सब लोग हँसे जब ऊँट हँसा,
जब ऊँट हँसा तो खूब हँसा
लो देखो, फिर यह ऊँट हँसा।
सब पूछ रहे क्या सच है जी
क्या सच में ही था ऊँट हँसा,
हाँ ऊँट हँसा, हाँ ऊँट हँसा
देखो तो भाई ऊँट हँसा।
धरती डोली, भूचाल उठा
लो ऊँट हँसा, लो ऊँट हँसा।
धरती पर एक बवंडर-सा
आया कुछ हाला-डोला-सा,
जब ऊँट हँसा, तब लोग हँसे
हँस धरती का मन डोला-सा।