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जब कभी उसे हमने प्यार से पुकारा है / शुचि 'भवि'
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जब कभी उसे हमने प्यार से पुकारा है
हर घड़ी हमें उसने मुड़ के बस निहारा है
रोज़ रोज़ मिलने से हम हुए हैं दीवाने
लग रहा है ये हमको दिल मेरा कुँवारा है
ईश की रही रहमत साथ मिल गया तेरा
किस क़दर मेरा रौशन हो गया सितारा है
याद वो न आयें अब है यही दुआ मेरी
वक़्त जो बिना उसके मैंने यूँ गुज़ारा है
'भवि' न समझेगा कोई इक तेरे सिवा वो जो
ज़ीस्त ने किया तुझको आज जो इशारा है