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जब कभी कोई दिल दरबदर हो गया / भवेश दिलशाद
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जब कभी कोई दिल दरबदर हो गया
हुस्न से इश्क़ तक का सफ़र हो गया
मैं अधूरा जुड़ा तुझ अधूरे में जब
हो गया पूरा तू मैं सिफ़र हो गया
वो जो तहज़ीब थी अब तमाषा है बस
जो नज़रिया था वो बदनज़र हो गया
था क़यामत का दिन जब ये दुनिया बनी
रह गया वो उधर मैं इधर हो गया
बेअदब बदग़ुमां मत समझना मुझे
बेख़याली सी थी बेख़बर हो गया