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जब कभी प्यार की बरसात हुआ करती है / रंजना वर्मा

जब कभी प्यार की बरसात हुआ करती है
दिन में सोती है सारी रात जगा करती है

है जो फँसती कभी मझधार में कश्ती कोई
नाखुदा हो तो भँवर पार किया करती है

दिल के दरपन में हुई कैद है मूरत उसकी
नाम ले जिसका मेरी रूह जिया करती है

राह पथरीली है दूरी भी है मंज़िल से मगर
हर नदी ओर समन्दर के बहा करती है

वो जो आती है हवा चन्दनी फ़िज़ाओं से
प्यार से फूल को कलियों को छुआ करती है

तुम नहीं साथ हो मेरे तो कोई बात नहीं
याद की शम्मा तो सीने में जला करती है

नूर की बूँद है एहसासे मुहब्बत दिल का
ये ही तो प्यार की सूरत में ढला करती है