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जब कहीं भी कोई फ़ैसला कीजिए / राम नाथ बेख़बर

जब कहीं भी कोई फ़ैसला कीजिए
बस सही को सही कह दिया कीजिए

चाहे कोई भी जग में ख़ता कीजिए
अपने महबूब को मत ख़फ़ा कीजिए

हो रही बेअसर मुझ पे हर इक दवा
मेरे हक़ में अभी से दुआ कीजिए

रुक गए तो समझिए वहीं मौत है
धीरे-धीरे सही पर चला कीजिए

दर्द आँखों से होकर उतर जाएगा
हो सके तो ज़रा रो लिया कीजिए

'बेख़बर' रूठकर दूर जाना नहीं
जो शिकायत है मुझसे कहा कीजिए