Last modified on 19 अगस्त 2018, at 21:57

जब क़दम आसमान में रखना / ईश्वरदत्त अंजुम


जब क़दम आसमान में रखना
कुछ तवाजुन उड़ान में रखना

मवड़ी फ़िक्र-ए-सुख़न के शह-बाज़ो
खुद को ऊँची उड़ान में रखना

ज़ुल्फो-आरिज़ का जिक्र चलता रहे
ताज़गी दास्तान में रखना

मौसमों से भी रस्मो-राह रहे
खिड़कियां कुछ मकान में रखना

कोई कितना सगा भी बन जाये
फ़ासिला दरमियान में रखना

ऐ ख़ुदा! अम्न चैन खुशहाली
मेरे हिन्दोस्तान में रखना

हक़-नवाई न छोड़ना 'अंजुम'
फ़र्ज़ शायर का ध्यान में रखना।