भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब क़ैदी छूटते हैं-2 / इदरीस मौहम्मद तैयब

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपने के इस पल में
सीना खुलता है
जिससे अंदर का पक्षी अपनी जंज़ीर तोड़ सके
और फिर सावधानी से एक के बाद दूसरी छलाँग लगाते हुए
आराम से इस पिंज़रे के
पहरेदारों को धोखा दे कर उड़ जाता है ।


रचनाकाल : 22 फ़रवरी 1979

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस