भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जब कोई ना दे साथ / अशेष श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
जब कोई ना दे साथ
अकेले ही चलो रे...
हिम्मत कभी ना हारो
अकेले ही चलो रे...
खुद ही मिलेंगी राहें
बढ़ते ही चलो रे...
आसान होंगी मुश्किलें
हारो ना, चलो रे...
मंज़िल ज़रूर पाओगे
बैठो ना चलो रे...
होगे सफ़ल ज़रूर ही
डरो ना चलो रे...
जो टोकते हैं वह ही
सराहेंगे चलो रे...
जो रोकते हैं, स्वागत
करेंगे वह चलो रे...
कोशिश जो ख़ुद ही करते
प्रभु मदद ही उनकी करते...
प्रभु साथ हैं तुम्हारे
भूलो ना, चलो रे...