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जब जागेगा भाईचारा बढ़े हृदय में निर्मल प्यार / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

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जब जागेगा भाईचारा बढ़े हृदय में निर्मल प्यार
तब यह मेरी कलम करेगी मेरे गीतों का श्रृंगार॥

अर्द्ध निमीलित नयनों में सुख का सपना लहरायेगा
सीमा रेखा जब न देश की शत्रु लांघने पायेगा
काले धन की बात न होगी सब सपने सच्चे होंगे
सब से आगे देश चलेगा सब को राह दिखायेगा।

विश्व वन्द्य गुरु बन कर भारत पायेगा जग में सत्कार।
तब यह मेरी कलम करेगी मेरे गीतों का श्रृंगार॥

यहाँ युद्ध में वीर धर्म से और नियम से लड़ते थे
पकड़ हाथ संगी साथी का प्रगति पन्थ पर बढ़ते थे।
राजा यहाँ लगाया करते बढ़ कर गले निषादों को
जाती धर्म को भूल योग्य जन एक साथ मिल पढ़ते थे।

जब फिर वैसे दिन लौटेंगे होगा जन जन का उद्धार।
तब यह मेरी कलम करेगी मेरे गीतों का श्रृंगार॥

सदा सदा ध्वज तीन रंग का अम्बर में लहरायेगा
इस के वन्दन हित आगे हर भारतवासी आयेगा।
बड़ दादा हैं पीपल भैया नदियाँ सब माताएं हैं
माता कह कर गो - पालन में अपनी रुचि दिखलायेगा।

श्रद्धास्पद वरिष्ठ जन होंगे हर बच्चा पायेगा प्यार।
तब यह मेरी कलम करेगी मेरे गीतों का श्रृंगार॥

राम कृष्ण हर बालक होगा हर नारी होगी सीता
पावन होंगीं गंगा यमुना कृष्ण सुनाये फिर गीता।
जब न अनाथ रहेगा कोई कहीं न वृद्धाश्रम होंगे
समता का आचरण करें सब धन सुख से न कोई रीता।

जब मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारों में न कहीं होगी तकरार।
तब यह मेरी कलम करेगी मेरे गीतों का श्रृंगार॥