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जब तक तुम न जानो / मोहिनी सिंह
Kavita Kosh से
तुम जब तक न जानो मेरे प्रेम की परिभाषा और
मैं जब तक न समझूँ क्या है प्रेम का अर्थ तुम्हारे लिए
तब तक ही है हमारे प्रेम का अस्तित्व ।
प्रेम का यथार्थ ही कल्पना है
स्वप्नों को स्वप्न नहीं समझा जाता
जब तक नींद न खुले
और हम जान न जाएं की हमने कुछ नहीं किया
खुद को आराम में छलने के सिवाय।।
प्रेम की नींद न तोड़ो
ज्ञान की बत्ती जला के।।