जब तक न प्रलय हो धरती पर / जयकृष्ण राय तुषार
जब तक न प्रलय हो धरती पर
जब तक सूरज पवमान रहे |
जनगण मन और तिरंगे की
आभा में हिन्दुस्तान रहे |
चरणों में हिन्द महासागर
सीने में यमुना -गंगा हो ,
बाँहों में सतलज ,ब्रह्मपुत्र
मन में कश्मीर ,कलिंगा हो ,
मथुरा ,गोकुल ,वृन्दावन में
मुरली की मोहक तान रहे |
गिरिजाघर में माँ मरियम हों
गुरुग्रंथ रहे गुरुद्वारों में ,
हो बिहू ,भांगड़ा कुचिपुड़ी
हर मौसम में त्योहारों में ,
तेरे मन्दिर गीता ,मानस
हर मस्जिद में कुरआन रहे |
हम भगत सिंह के वंशज हैं
ईमान हमारा बना रहे ,
बापू के सत्य अहिंसा का भी
छत्र शीश पर तना रहे ,
जब कभी देश पर संकट हो
पहले मेरा बलिदान रहे |
उत्तर से दक्षिण ,पूरब से -
पश्चिम फैली हरियाली हो ,
भुखमरी ,गरीबी हटो दूर !
हर हाथ शहद की प्याली हो ,
भारत माँ तेरी मिटटी का
हर इक तिनका बलवान रहे |,