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जब तमन्ना जवान होती है / मधुप मोहता

Kavita Kosh से
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जब तमन्ना जवान होती है
ज़मीं भी आसमान होती है

रात जब बेईमान होती है
देह भी इक दुकान होती है

हवस बुझी तो गौर से देखा
भूख, नंगा किसान होती है

खुदा सुने तो भला कैसे सुने
मुफ़लिसी बेजुबान होती है

न पढ़ कुरान मुहब्बत कर ले
हर वफ़ा मुसलमान होती है