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जब तुम मुझ से मिलने आओ / शहराम सर्मदी
Kavita Kosh से
तुम्हारी अपनी दुनिया है
तुम्हारे रोज़-ओ-शब शाम-ओ-सहर अपने
तुम इक आज़ाद पंछी हो
मिरी जागीर का हिस्सा नहीं हो तुम
मगर कल शाम जब तुम मुझ से मिलने आओ
(जैसा तुम ने लिक्खा है)
तो आँखों में
ज़रा काजल लगा आना