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जब तुम सैर करते हो देश में / हेनरी मीशॉ
Kavita Kosh से
जब तुम सैर करते हो देश में,
आगे वह उस तक सुपुर्द,
सम्भव है तुम्हें मौका हो ख़ालिस
मरदानों से मिलने का अपने मार्ग पर।
ये पहाड़ हैं और देर-सबेर
तुमको झुकना है घुटनों के बल उनके सामने।
अकड़ने का कोई फ़ायदा नहीं होगा,
तुम नहीं जा सकते थे परले तक,
अपने को आहत करके भी।
मैं यह नहीं कहता जख़्मी करने के सिलसिले में।
मैं दूसरी चीज़ें कह सकता था अगर मैं सचमुच
जख़्मी करना चाहता।
अंग्रेज़ी से भाषान्तर : पीयूष दईया