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जब तेरी धुन में जिया करते थे / मोहसिन नक़वी

जब तेरी धुन में जिया करते थे
हम भी चुप चाप फिरा करते थे

आँख में प्यास हुवा करती थी
दिल में तूफ़ान उठा करते थे

लोग आते थे ग़ज़ल सुनने को
हम तेरी बात किया करते थे

सच समझते थे तेरे वादों को
रात दिन घर में रहा करते थे

किसी वीराने में तुझसे मिलकर
दिल में क्या फूल खिला करते थे

घर की दीवार सजाने के लिए
हम तेरा नाम लिखा करते थे

वोह भी क्या दिन थे भुला कर तुझको
हम तुझे याद किया करते थे

जब तेरे दर्द में दिल दुखता था
हम तेरे हक में दुआ करते थे

बुझने लगता जो चेहरा तेरा
दाग सीने में जला करते थे

अपने जज्बों की कमंदों से तुझे
हम भी तस्खीर किया करते थे

अपने आंसू भी सितारों की तरह
तेरे होंटों पे सजा करते थे

छेड़ता था गम-ए-दुनिया जब भी
हम तेरे गम से गिला करते थे

कल तुझे देख के याद आया है
हम सुख्नूर भी हुआ करते थे